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आमदनी बढ़े तो फांसी क्यों चढ़ें किसान

                आमदनी बढ़े तो फांसी क्यों चढ़ें किसान-       (iqbalsingh)                               मुझे चार दशक हो गए हैं अर्थशास्त्रियों की एक-सी बातें सुनते कि किसान उत्पादकता बढ़ाने के लिए तकनीक का प्रयोग करें, लागत घटाएं, फसलों में विविधता अपनाएं, सिंचाई क्षमता बढ़ाएं व बिचौलियों के चंगुल से बचने के लिए इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग के प्लेटफॉर्म पर जाएं। उनकी मूलत: यही धारणा है कि कृषि संकट मुख्य रूप से किसानों की देन है, क्योंकि उन्होंने आधुनिक तकनीक व नई किस्मों का उपयोग नहीं किया। या वे बैंक कर्ज का उपयोग करना नहीं जानते। वे उत्पादन लागत को कम नहीं कर पा रहे हैं। वे कृषि आय में बढ़ोतरी के लिए फसल उत्पादन में वृद्धि के पक्ष में रहे हैं। यह भी कहा जाता है कि आज के दौर में किसान तभी बचे रह सकते हैं, जब विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी होंगे। बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि और उसके बाद गर्मी के महीने में सूखे की समस्या ने 2015 में कृषि संकट को काफी विकट बना दिया था। इसके परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब और महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या की घटनाओं में असाधारण बढ़ोतरी देखी गई।